आशीर्वाद (कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु-08-May-2024
दैनिक सृजन दिवस- बुधवार विधा- बालगीत या बाल कहानी प्रकरण-आशीर्वाद स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु
डॉक्टर, वैद्य, दवा और दारू, जब सब कुछ जाता है हार। तब आशीर्वाद वह छांँव है देता, जो करता हर संकट पर वार।
आशीर्वाद शब्द एक ऐसा, जीवन को जो करे परिवर्तित। जब भी वक्त मिले इसे ले- लें, जग में सदा करें हमें गर्वित।
शब्द एक कई राज़ समेटे, आयु, विद्या, बल, बुद्धि देते। हर मानव की है यही कामना, कर प्रणाम बिन मोल ले लेते।
इसका प्रभाव ना जाए खाली, बस श्रद्धा से हम शीष झुकाएँ। श्रद्धा से ही यह धन मिलता है, खुशियों से दामन भर जाए।
जितना ही हम आदर रखेंगे, यह धन हमें मिलेगा उतना। नि:सहाय से जब हम होंगे, घनी छांँव देगा प्रभु जितना।
जीवन में यह तभी उतरेगा, ससम्मान प्रभाव करें धारण। सच्चे मन से करें प्रणाम हम, हर विपदा का होगा निवारण।
साधना शाही, वाराणसी
kashish
09-May-2024 02:19 PM
Awesome
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Mohammed urooj khan
09-May-2024 01:41 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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